सिन्दुरसी की गुप्तकालीन चट्टानें बुलाती हैं: कटनी को पर्यटन का नया सितारा बनाने की पुकार

 सिन्दुरसी की गुप्तकालीन चट्टानें बुलाती हैं: कटनी को पर्यटन का नया सितारा बनाने की पुकार

सिन्दुरसी की गुप्तकालीन चट्टानें बुलाती हैं: कटनी को पर्यटन का नया सितारा बनाने की पुकार

मध्य प्रदेश समाचार न्यूज़कटनी, 9 अक्टूबर 2025: मध्य प्रदेश के कटनी जिले की सिन्दुरसी पहाड़ी पर गुप्तकाल की चट्टानों में उकेरी गई शेषशायी विष्णु, स्थानक विष्णु, शक्ति जगदंबा और द्विभुजी योगी की प्राचीन प्रतिमाएं इतिहास के पन्नों को जीवंत करती हैं। ये चौथी-पांचवीं सताब्दी की कला कृतियां पर्यटकों को बुलाती हैं, मगर एक किलोमीटर का कच्चा रास्ता उनके रास्ते में रोड़ा बना हुआ है। हाल ही में इंटैक के कन्वीनर मोहन नागवानी और एक पुरातत्व छात्रा ने इस मनोरम स्थल का दौरा किया, जिसने कटनी को पर्यटन के नए सितारे के रूप में चमकाने की संभावनाओं को उजागर किया।सिन्दुरसी, बहोरीबंद से रुपनाथ धाम—जहां सम्राट अशोक का ऐतिहासिक शिलालेख मौजूद है—को जोड़ने वाली सड़क के किनारे बसी है। नागवानी ने जोश के साथ कहा, "बस एक किलोमीटर का पक्का रास्ता बन जाए, तो सिन्दुरसी पर्यटन का नया ठिकाना बन सकता है। यह न केवल स्थानीय रोजगार बढ़ाएगा, बल्कि रुपनाथ धाम की रौनक को भी दोगुना करेगा।" कटनी, जो तिगवां के कंकाली मंदिर, बहोरीबंद के जैन तीर्थंकर शांतिनाथ और वासुधा जलप्रपात जैसे रत्नों से सजा है, पहले से ही पर्यटकों के दिलों में जगह बना रहा है।पर्यटन विशेषज्ञों की माने तो सड़क सुधार, साइनेज बोर्ड, पार्किंग और गाइड सुविधाओं के साथ सिन्दुरसी को रुपनाथ के साथ एकीकृत सर्किट में जोड़ा जाए, तो यह धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का नया केंद्र बन सकता है। कटनी, जो जबलपुर से महज 80 किलोमीटर दूर बैंडवगढ़ और भेड़ाघाट के रास्ते पर पड़ता है, पर्यटन के राष्ट्रीय नक्शे पर चमकने को तैयार है। जिला प्रशासन ने बताया कि विकास योजनाएं विचाराधीन हैं।अब समय है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि और ग्राम पंचायतें सिन्दुरसी की इस अनमोल धरोहर को संवारें, ताकि कटनी मध्य भारत का पर्यटन गौरव बन सके।

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