_सीएम मोहन यादव का ऐलान, मध्य प्रदेश में 2 और कफ सिरप बैन, बाजार से वापस लेंगे दवा_

 _सीएम मोहन यादव का ऐलान, मध्य प्रदेश में 2 और कफ सिरप बैन, बाजार से वापस लेंगे दवा_

_सीएम मोहन यादव का ऐलान, मध्य प्रदेश में 2 और कफ सिरप बैन, बाजार से वापस लेंगे दवा_

मध्य प्रदेश समाचार न्यूज़।भोपाल: छिंदवाड़ा में कफ सिरप पीने के बाद हुई 16 बच्चों की मृत्यु के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने 2 दिन पहले कोल्डरिफ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसमें मानक से अधिक मात्रा में डाइएथिलीन ग्लाइकोल मिले होने की पुष्टि हुई थी. अब प्रदेश सरकार ने प्रदेश में दो अन्य कफ सिरप पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. इन दवाओं के नमूने सरकारी प्रयोगशालाओं में जांच के लिए भेजे गए थे. सोमवार को मध्य प्रदेश फूड एडं ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की रिपोर्ट में कोल्डरिफ Coldrif और Nextro-DS सिरफ के अलावा अन्य दो सिरप में घातक डीईजी मिला होने की पुष्टि हुई है.

कफ सिरप में इतनी होनी चाहिए डीईजी की मात्रा

छिंदवाड़ा मामला सामने आने के बाद कुल 19 दवाओं के नमूने जांच के लिए सरकारी प्रयोगशालाओं को भेजे गए थे. अब इनकी रिपोर्ट की आ गई है. रिपोर्ट के अनुसार री लाइफ में 0.616 प्रतिशत डायएथिलीन ग्लाइकोल पाया गया. वहीं रेस्पिफ्रेश टीआर में 1.342 प्रतिशत डायएथिलीन ग्लाइकोल मिला है. गाइडलाइन के मुताबिक कफ सिरप में डायएथिलिन ग्लायकोल की मात्रा 0.1 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. यदि मात्रा अधिक हो तो ऐसे सिरप से किडनी फेल और ब्रेन डैमेज होने का खतरा रहता है.राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से कोल्डरिफ के बाद री लाइफ और रेस्पिफ्रेश टीआर कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही इन दवाओं को बाजार से वापस बुलाने के निर्देश दिए हैं. अब बाजार से यह दवा रीकॉल की जा रही है. यह दोनों सिरप गुजरात में बनते थे. स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त तरुण राठी ने बताया कि "पूरे प्रदेश में औषधी निरीक्षण की गतिविधियां तेज कर दी गई हैं. जिन दवाओं पर शक है, उन्हें बाजार से वापस बुलाने के निर्देश दिए जा रहे हैं. उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने भी कहा है कि सरकार जनता के स्वास्थ्य को सर्वाेच्च प्राथमिकता देती है. औषधियों की गुणवत्ता से किसी भी तरह का समझौता स्वीकार्य नहीं है."

लंग इंफेक्शन में दी जाती है दोनों दवाएं

री लाइफ और रेस्पिफ्रेश टीआर कफ सिरप का इस्तेमाल श्वसन समस्याओं में होने वाली बलगम वाली खांसी से राहत दिलाने किया जाता है, जैसे कि ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी. यह बलगम को पतला करके निकालने में मदद करता है. सीने की जकड़न और घरघराहट कम करता है और सर्दी-जुकाम के लक्षणों से भी राहत देता है. इधर सरकार ने औषधी निमार्ताओं, निरीक्षकों, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों और मेडिकल कॉलेजों के डीन के लिए एडवाइजरी जारी की है. इसमें डायएथिलीन ग्लाइकोल के अलावा क्लोरफेनिरामाइन मलेट और फिनाइलफ्रिन एचसीएल जैसे केमिकल के उपयोग को लेकर विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं.

डॉक्टर पर कार्रवाई के विरोध में चिकित्सक एकजुट

छिंदवाड़ा में 16 बच्चों की मौत के मामले में प्रदेश के सभी चिकित्सक एकजुट हो गए हैं. एक तरफ जहां चिकित्सक सरकार से मांग कर रहे हैं कि अमानक दवा बनाने वालों पर कार्रवाई की जाए, वहीं दूसरी तरफ चिकित्सकों ने डॉक्टर प्रवीण सोनी को रिहा करने की भी मांग की है. डॉक्टर प्रवीण सोनी छिंदवाड़ा में एक निजी क्लीनिक चलाते हैं. जिस कोल्डरिफ के इस्तेमाल से छिंदवाड़ा में 16 बच्चों की मौत हुई है. वह डॉक्टर प्रवीण सोनी द्वारा कई बीमार बच्चों को प्रिस्क्राइब किया गया था. यह सिरप डॉक्टर सोनी के भतीजे की मेडिकल दुकान पर बिक्री के लिए उपलब्ध था. इन दो प्रमुख वजहों से पुलिस ने डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया है.

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