कटनी के 500 से अधिक जर्जर स्कूल भवनों में खतरे में बच्चों की जान: शिक्षा विभाग की लापरवाही बरकरार
मध्य प्रदेश समाचार न्यूज़कटनी, 27 जुलाई 2025 राजस्थान के झालावाड़ में एक सरकारी स्कूल की छत ढहने से कई मासूम बच्चों की मौत की दिल दहलाने वाली घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। लेकिन कटनी जिले का शिक्षा विभाग अब भी गहरी नींद में सोया हुआ है। जिले के 500 से अधिक स्कूल भवनों की हालत इतनी जर्जर है कि वे कभी भी भयावह हादसे का सबब बन सकते हैं। इन खतरनाक इमारतों में हर दिन हजारों बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं। शिक्षा विभाग, प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही ने बच्चों की सुरक्षा को और गंभीर संकट में डाल दिया है।
खंडहर बन चुके हैं स्कूल, जिम्मेदार बेखबर
जिले में 547 स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं, जिनमें से 131 पूरी तरह से गिराने लायक हैं। 97 स्कूलों की स्थिति इतनी खराब है कि वहां पढ़ाई संभव ही नहीं। इन स्कूलों के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों, पंचायत भवनों या अन्य जुगाड़ के स्थानों पर ठूंस दिया गया है। बाकी स्कूल, जो अभी भी पुरानी और जर्जर इमारतों में चल रहे हैं, किसी भी वक्त हादसे को दावत दे सकते हैं। शहर के सिविल लाइन स्कूल में छत से पानी टपकता है, बरगवां स्कूल की बिल्डिंग जर्जर है, और ग्रामीण क्षेत्रों की कई पाठशालाएं भी खस्ताहाल हैं। कहीं दीवारों का प्लास्टर टूट रहा है, कहीं छतें चटक रही हैं, तो कहीं बारिश का पानी कक्षाओं में भर जाता है। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी चैन की नींद सो रहे हैं।
मरम्मत के नाम पर घपलेबाजी
हैरानी की बात है कि अक्टूबर 2024 में स्कूलों की मरम्मत के लिए 50 लाख रुपये का फंड शिक्षा विभाग को मिला था, लेकिन इसका उपयोग कहां हुआ, यह रहस्य बना हुआ है। कुछ स्कूलों में मामूली काम दिखाकर बिलों में खानापूर्ति की गई। उदाहरण के लिए, देवगांव स्कूल में 9 लाख रुपये की मरम्मत का दावा किया गया, लेकिन जानकारों का कहना है कि 9 हजार रुपये भी खर्च नहीं हुए। अप्रैल 2025 में फिर से 50 लाख रुपये का बजट मिला, लेकिन चार महीने बीतने के बाद भी कोई प्रस्ताव तक तैयार नहीं हुआ।
97 स्कूलों में पढ़ाई का जुगाड़
जिले के 91 स्कूलों में बच्चों को बैठने की जगह तक नहीं है। बारिश के मौसम में हालात और बदतर हो जाते हैं। इन स्कूलों को पंचायत भवनों या अन्य अस्थायी जगहों पर शिफ्ट किया गया है। ढीमरखेड़ा ब्लॉक के धौरेशर प्राथमिक शाला में 17 बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन बारिश में छत से पानी टपकता है और छपाई टूटकर बच्चों के सिर पर गिरने का खतरा बना रहता है। इसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।
शिक्षा की नींव डगमगाई
जर्जर भवनों के साथ-साथ शिक्षकों की कमी भी जिले की शिक्षा व्यवस्था की बदहाली को उजागर करती है। 48 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है, जबकि 122 स्कूलों में जरूरत से ज्यादा शिक्षक तैनात हैं। यह असंतुलन शिक्षा की गुणवत्ता को और प्रभावित कर रहा है।
ब्लॉक-वार जर्जर स्कूलों की स्थिति
| ब्लॉक | जर्जर स्कूल | गिराने योग्य | शिफ्ट किए गए स्कूल |
|---------------|-------------|--------------|--------------------|
| कटनी | 20 | 04 | 05 |
| रीठी | 55 | 34 | 31 |
| विगढ़ | 124 | 29 | 07 |
| बड़वारा | 182 | 25 | 08 |
| बहोरीबंद | 127 | 19 | 31 |
| ढीमरखेड़ा | 39 | 20 | 13 |
| कुल योग | 547 | 131 | 97 |
जिला शिक्षा अधिकारी का बयान
जिला शिक्षा अधिकारी एसएस मरावी ने कहा, “कक्षा 1 से 8 तक डीपीसी के अंतर्गत आते हैं, जबकि कक्षा 9 से 12 हमारे दायरे में हैं। जर्जर स्कूलों में कक्षाएं न लगें, यह सुनिश्चित करेंगे। बजट के प्रस्ताव जल्द तैयार कर मरम्मत कराई जाएगी। सभी बीआरसी को स्कूलों का दौरा करने और स्थिति का जायजा लेने के निर्देश दिए गए हैं। स्वीकृति मिलने के बाद कार्ययोजना बनाई जाएगी।”
आवश्यक है तत्काल कार्रवाई
कटनी के स्कूलों की यह बदहाली न केवल बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाती है। जिम्मेदार विभागों को अब जागना होगा, वरना राजस्थान जैसी त्रासदी कटनी में भी दोहराई जा सकती है। बच्चों के भविष्य और उनकी सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाना अब समय की मांग है।
संपर्कजिला शिक्षा कार्यालय, कटनी
प्रकाशन हेतु,यह समाचार बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा विभाग की जवाबदेही पर केंद्रित है जो जनहित में तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
मध्य प्रदेश समाचार न्यूज़ संपादक श्यामलाल सूर्यवंशी