छेत्र के नेता एवं जिले वासियों के चहते,जनसेवा का पर्याय बने विजयराघवगढ़ विधायक संजय सत्येंद्र पाठक,31 अक्टूबर सेवा, सादगी और समर्पण के प्रतीक का जन्मदिवस
मध्य प्रदेश समाचार न्यूज़ कटनी।राजनीति उनके लिए पद नहीं परोपकार का माध्यम है। क्षेत्रवासियों की जुबान पर बस एक ही नाम संजय सत्येंद्र पाठक ।संजय सत्येंद्र पाठक जी न केवल एक विधायक हैं बल्कि एक भावना हैं। सेवा की समर्पण की और सत्य के पथ पर चलने की।उनके नेतृत्व में विजयराघवगढ़ ने विकास की नई कहानी लिखी है।राजनीति में नाम सब कमाते हैं। पर सम्मान वही पाता है जो दिल जीतता है।संजय पाठक जी का जीवन इस बात का उदाहरण है कि यदि नीयत साफ़ हो और नज़रिया जनता के हित में हो तो हर मंज़िल आसान बन जाती है।वे सचमुच जनसेवा के दीपक हैं। जिनकी रौशनी आज भी हर घर तक पहुँच रही है।
संजय सत्येंद्र पाठक का प्रारंभिक जीवन सादगी से शिखर तक का सफर
विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र का नाम आज विकास और विश्वास का पर्याय है। और इस परिवर्तन के केंद्र में हैं विधायक संजय सत्येंद्र पाठक जिनका जन्म 31 अक्टूबर 1970 को जबलपुर (मध्य प्रदेश) में हुआ। पिता स्वर्गीय सत्येंद्र पाठक स्वयं एक आदर्श जनसेवक और विधायक रहे।माता श्रीमती निर्मला पाठक ने बचपन से ही अपने पुत्र में सेवा ही सर्वोत्तम साधना है का संस्कार बोया।यही संस्कार आगे चलकर उनके जीवन की दिशा बने। पिता: स्व. सत्येंद्र पाठक (पूर्व विधायक व राज्य मंत्री रहे। माता श्रीमती निर्मला पाठक भी राजनीति मे कुछ वर्षों तक रही। पत्नी श्रीमती निधि पाठक सायना स्कूल संचालक के रूप मे शिक्षा को बढावा दे रही है। पुत्र: यश पाठक अगामी भविष्य मे राजनैतिक कमान सभा सकते हैं और अपने पिता के नाम को आगे बढा सकते हैं। पुत्रवधू अनुकृति पाठक भी एक राजनैतिक परिवार की बेटी रही अब वह एक कुशल राजनेता के परिवार की बहू है। इस बात से भी यही कयास लगाए जा सकते हैं की आने वाले समय मे विजयराघवगढ़ विधानसभा का नेतृत्व श्रीमती अनुकृति पाठक कर सकती है। यह परिवार न केवल राजनीति में बल्कि समाजसेवा शिक्षा और संस्कृति में भी सक्रिय भूमिका सदियों से निभा रहा है।संजय पाठक जी ने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (M.A.) की उपाधि प्राप्त की।उनका मानना है कि पढ़ाई का असली अर्थ समाज के काम आना है किताबों में नहीं कर्मों में उतरना है।वे राजनीति को जनसेवा की पाठशाला मानते हैं। राजनीति में प्रवेश जहाँ इरादा पक्का हो वहाँ मंज़िल झुकती है। छात्र राजनीति से आरंभ हुआ उनका सफर और आज प्रदेश मे राजनीति का अहम चेहरा बन चुका है।2008 में पहली बार जनता ने उन्हें विजयराघवगढ़ से विधायक चुना।इसके बाद लगातार 2013, 2014 उपचुनाव2018 और 2023 में भी उन्होंने जनता का भरोसा जीताथा। विजयराघवगढ़ की मिट्टी में उनका नाम ऐसे रचा बसा है जैसे दीपक की लौ में उजाला। विकास के मायने वादे नहीं, कार्य बोलते हैं। संजय पाठक जी की पहचान केवल एक राजनेता के रूप में नहीं, बल्कि एक विकास पुरुष के रूप में होती है।उनकी सोच साफ़ नीयत नेक और लक्ष्य जनसेवा मे रहा है। नगर से लेकर ग्राम विकास कार्यों मे क्षेत्र की सूरत बदली है। बरही मुफ्त नेत्र शिविर दवा वितरण स्वास्थ्य जांच शिविर के अलावा स्थानीय अस्पतालों के उन्नयन से आमजन को राहत हमेशा मिली है। साथ ही हर सम्पर्क साधने वाले मरीजों का निशुल्क उपचार हर स्तर पर किया गया है। विधायक संजय सत्येंद्र पाठक ने विकास के पथ पर विद्यालयों का नवीनीकरण बच्चों को छात्रवृत्तियाँ और डिजिटल शिक्षा के लिए संसाधन उपलब्ध कराए। वही सैकडों छात्रों को व्यक्तिगत रूप से खर्च उठा कर शिक्षा दिला रहे है सैकठो स्कूलों की व्यवस्था बनाए रखने के लिए शिक्षको का बेतन भी खुद ही दे रहे है। युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के इरादे से लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री रहते हुए प्रदेशभर में रोजगार सृजन योजनाएँ लागू कराई जिसका लाभ विजयराघवगढ़ विधानसभा छेत्र को भी मिला। त्योहारों धार्मिक आयोजनों और सामाजिक कार्यक्रमों में अग्रणी भूमिका निभाई जिनकी बजह सै आज भी परंपरा जीवित है।महामारी हो या विपत्ति संजय सत्येंद्र पाठक ने धीरे चलो मगर सही चलो के सिद्धांत पर लोगों तक राहत पहुँचाई।
पिता स्वर्गीय सत्येंद्र पाठक आदर्श की वह ज्योति जो कभी नहीं बुझी
पिता सिर्फ जन्म नहीं देते वे जीवन की दिशा देते हैं।स्वर्गीय सत्येंद्र पाठक जी का जीवन सेवा सरलता और त्याग का प्रतीक रहा।उन्होंने राजनीति को जनकल्याण का माध्यम बनाया और जनता के बीच विश्वास की अमिट छाप छोड़ी।संजय पाठक जी कहते है। मेरे पिताजी की सोच थी कि जनता के दिल में जगह बनाना सबसे बड़ी जीत है। आज वे उसी राह पर चलकर अपने पिता के सपनों को साकार कर रहे हैं।संजय पाठक जी का व्यक्तित्व यह संदेश देता है कि नेतृत्व का अर्थ केवल मंच नहीं
बल्कि हर दिल में जगह बनाना और हर व्यक्ति तक पहुँचना है।
उनकी कार्यशैली में विनम्रता दृढ़ता और संकल्प तीनों का सुंदर संगम है।जो दीपक जलते जलते भी दूसरों को रोशनी दे वही सच्चा सेवक कहलाता है।

