आरएसएस के शताब्दी वर्ष पर भव्यपथ संचलन: घोष की धुन पर स्वयंसेवकों ने की कदमताल, हरे माधव परमार्थ संतसंग समिति ने पुष्प वर्षा से किया स्वागत
कटनी (माधवनगर), 13 अक्टूबर 2025: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में एक भव्य पथ संचलन का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में घोष (बैंड) की धुन पर अनुशासित कदमताल की। इस दौरान हरे माधव परमार्थ संतसंग समिति ने पुष्प वर्षा कर स्वयंसेवकों का हार्दिक स्वागत किया,जो कार्यक्रम की विशेषता रही।आरएसएस के शताब्दी वर्ष के तहत यह पथ संचलन राष्ट्रभक्ति और सामाजिक एकता का प्रतीक बनकर उभरा। स्वयंसेवक सुबह से ही शहर की प्रमुख सड़कों पर निकले, जहां उन्होंने एकरूपता और अनुशासन का प्रदर्शन किया। घोष की मधुर धुन पर कदम मिलाते हुए उन्होंने 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के नारे लगाए, जिससे वातावरण राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत हो गया। कार्यक्रम में युवा, बुजुर्ग और महिलाएं भी शामिल हुईं, जो संघ के 'व्यक्ति निर्माण' और 'समाज परिवर्तन' के संदेश को मजबूत कर रही थीं।कार्यक्रम के दौरान हरे माधव परमार्थ संतसंग समिति के सदस्यों ने विशेष रूप से योगदान दिया। समिति के संतों और भक्तों ने मार्ग में पुष्प वर्षा की, जिससे स्वयंसेवकों का उत्साह दोगुना हो गया। समिति के एक प्रतिनिधि ने कहा, "आरएसएस के 100 वर्ष राष्ट्र सेवा और हिंदू एकता के प्रतीक हैं। हम उनके इस प्रयास का सम्मान करते हैं और पुष्प वर्षा के माध्यम से अपना समर्थन व्यक्त कर रहे हैं।" यह सहयोग विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच सामंजस्य का उदाहरण प्रस्तुत करता है।आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि शताब्दी वर्ष के दौरान देशभर में 346 स्थानों पर ऐसे पथ संचलन आयोजित किए जा रहे हैं, जिसमें दिल्ली, नागपुर, बेंगलुरु और अन्य शहर शामिल हैं ये कार्यक्रम 'पंच परिवर्तन' अभियान का हिस्सा हैं, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, सामाजिक समरसता और ग्राम विकास पर केंद्रित हैं। संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने हाल ही में अपने उद्बोधन में कहा था कि आने वाले वर्षों में संघ का लक्ष्य भारत को विश्वगुरु बनाना है8cf50e।इस पथ संचलन में स्थानीय निवासियों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। कई जगहों पर नागरिकों ने फूल बरसाए और राष्ट्रभक्ति के गीत, गाएd9e666। कार्यक्रम शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ, जिसमें सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही। आरएसएस के 100 वर्षों की यात्रा को याद करते हुए स्वयंसेवकों ने प्रतिज्ञा ली कि वे राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान जारी रखेंगे।शताब्दी वर्ष के अन्य कार्यक्रमों में विजयादशमी उत्सव, शाखा विस्तार और सामाजिक सेवा अभियान शामिल हैं, जो पूरे वर्ष चलेंगेc030b0। संघ की स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी, और आज यह विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है, जो राष्ट्र सेवा के लिए जाना जाता है।पुष्प वर्षा में यह टीम रही उपस्थित, इंद्रलाल कटारिया, वरियल दास वाधवानी एवं उनकी युवा टीम का सराहनीय योगदान रहा