कटनी आरटीओ में भ्रष्टाचार का काला कारोबार: सरकारी गाड़ी से हाईवे पर अवैध वसूली, निचले स्तर से शासन तक फैला नेटवर्क
मध्य प्रदेश समाचार न्यूज़कटनी, 26 सितंबर 2025:मध्य प्रदेश के कटनी जिले के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में भ्रष्टाचार का ऐसा जाल बुन चुका है कि आम नागरिकों को सरकारी सेवाओं के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं, जबकि 'नगद नारायण' का बोलबाला है। लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी (लोसोप) ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि यदि जल्द अंकुश न लगाया गया तो आरटीओ कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन करने को बाध्य होना पड़ेगा। पार्टी का आरोप है कि आरटीओ क्लर्क 'कोल बाबू' सरकारी वाहन का दुरुपयोग कर चाकापीर-पीरबाबा बाईपास पर अवैध वसूली के धंधे में लिप्त है, जो निचले अमलों से लेकर उच्च अधिकारियों तक फैला एक संगठित रैकेट का हिस्सा लगता है।लोसोप के प्रवक्ता ने बताया कि कोल बाबू सहित आरटीओ के कुछ कर्मचारी बाहर के नंबर वाली गाड़ियों को रोककर 'कागज चेकिंग' के नाम पर अवैध उगाही करते हैं। कागजात छीनकर रख लेते हैं, डराते-धमकाते हैं और अंततः रिश्वत के बिना गाड़ी नहीं छोड़ते। यह कार्रवाई विशेष रूप से चाकापीर-पीरबाबा बाईपास पर लगातार जारी है, जहां सरकारी आरटीओ वाहन हाईवे पर खड़ा कर 'चेकपोस्ट' का रूप ले लेता है। "यह न केवल ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन है, बल्कि सरकारी संसाधनों का खुला दुरुपयोग भी है," उन्होंने कहा। पार्टी ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की है, अन्यथा आंदोलन की चेतावनी दी है।आरटीओ कार्यालय के आसपास का परिदृश्य भी भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है। यहां कार्यालय के इर्द-गिर्द दलालों, सलाहकारों की 'गुमटियां' और ठेले सजे हुए हैं, जो बाकायदा ऑफिस से काम करवाने का दावा करते हैं। हर काम की 'फिक्स रेट' है—चाहे लर्निंग लाइसेंस हो, वाहन रजिस्ट्रेशन हो या परमिट रिन्यूअल। यदि कोई सीधे कार्यालय जाकर काम करवाने की कोशिश करे, तो उम्र भर चक्कर लगाने पड़ें, क्योंकि 'कमिशन' के बिना फाइलें दफन हो जाती हैं। सूत्रों के अनुसार, कार्यालय में बड़े पैमाने पर काला-पीला लेन-देन होता है, जहां नकद पैसे 'नारायण' के नाम पर वसूले जाते हैं। आम उपभोक्ता परेशान होकर दलालों के चंगुल में फंस जाता है।
यह समस्या नई नहीं है। वर्षों से आरटीओ के अधिकारियों की जड़ें इतनी मजबूत हो चुकी हैं कि न शहर की कोई ताकत इन्हें हिला पाती है, न ही राज्य सरकार का कोई प्रयास। निचले स्तर के क्लर्कों से लेकर ऊपरी अमलों तक का नेटवर्क इतना सशक्त है कि भ्रष्टाचार शासन की नींव को खोखला कर रहा है। मध्य प्रदेश में हालिया अन्य मामलों ने भी परिवहन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर किया है, जैसे भोपाल के पूर्व आरटीओ कांस्टेबल सौरभ शर्मा का मामला, जहां लोकायुक्त, इनकम टैक्स और ईडी की छापों में 500-700 करोड़ की अवैध संपत्ति बरामद हुई। कटनी का यह प्रकरण उसी कड़ी का हिस्सा लगता है, जहां सरकारी तंत्र की कमजोरी का फायदा उठाकर 'निजी साम्राज्य' खड़े हो रहे हैं।जिला प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन लोकसेवा आयोग और भ्रष्टाचार निवारण विभाग से उम्मीद है कि इस शिकायत पर स्वत: संज्ञान लेगा। यदि ऐसी प्रवृत्ति पर लगाम न लगी, तो न केवल लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर होंगी, बल्कि आमजन का विश्वास भी डगमगा जाएगा। कटनी के नागरिकों ने मांग की है कि पारदर्शी जांच हो और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए, ताकि सरकारी सेवाएं वास्तव में 'सेवा' बन सकें।

